भारतीय बुनकर (कविता) 12
दिव के शैशव में बुनते बुनकरों,
ऐसा चमकीला परिधान क्यों बुनत हो ?
"जंगली हेलसियन पक्षी के पंखों सा नीला,
एक नवजात शिशु हेतु परिधान हम बुनते हैं।"
"दिवसावसान पर संध्या में बुनते बुनकरों,
ऐऐसा उल्लासमय वस्त्र क्यों बुनते हो ?"
"मयूरपच्छ सा बैंगनी व हरित वर्ण, महिषी की शादी हेतु घुंघट हम बबुन हैं।"
शीतल चन्द्र ज्योत्स्ना में बुनते बुनकरों,
गम्भीर और शान्त क्या बुनते हो,
" पंखों और बादलों सा शुभ्रश्वेत,
एक मृतक का शव वस्त्र हम बुनते हैं । "
Thanks for watching
__ सरोजिस नायडू
ऐसा चमकीला परिधान क्यों बुनत हो ?
"जंगली हेलसियन पक्षी के पंखों सा नीला,
एक नवजात शिशु हेतु परिधान हम बुनते हैं।"
"दिवसावसान पर संध्या में बुनते बुनकरों,
ऐऐसा उल्लासमय वस्त्र क्यों बुनते हो ?"
"मयूरपच्छ सा बैंगनी व हरित वर्ण, महिषी की शादी हेतु घुंघट हम बबुन हैं।"
शीतल चन्द्र ज्योत्स्ना में बुनते बुनकरों,
गम्भीर और शान्त क्या बुनते हो,
" पंखों और बादलों सा शुभ्रश्वेत,
एक मृतक का शव वस्त्र हम बुनते हैं । "
Thanks for watching
__ सरोजिस नायडू
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 28 मार्च 2020 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद